जमाने की यहाँ किसको पड़ी है-ग़ज़ल- -कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
ग़ज़ल
अदीक्षा देवांगन"अदी"
१२२२ १२२२ १२२
ज़माने की यहाँ किसको पड़ी है,
कि अपने-आप दुनियाँ खुब लड़ी है!
इनायत हो नहीं जो ग़र ख़ुदा की,
चलाए चल नहीं सकती घड़ी है!
बुढ़ापा छोड़ जाती है जवानी,
क़ज़ा होती नहीं छोटी-बड़ी है!
बहुत ही दूर हैं सारे नजारें,
सुहानी रात फूलों की झड़ी है!
वतन की आन मेरी जाँ तिरंगा,
नमन करलो जहाँ सेना खड़ी है!
बहाने लाख बनते यार लेकिन,
"अदी"तो बात में अपनी अड़ी है!
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
अदीक्षा देवांगन" अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

Comments
Post a Comment