ये ग़ज़ल रूह का एक संदेश है- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"


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 विधा-ग़ज़ल!

शीर्षक- भीड़ की रेस है!

रचयिता-अदीक्षा देवांगन"अदी"

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२१२,२१२,२१२,२१२

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ये ग़ज़ल  रूह का एक संदेश है,

जो ज़िगर पे लगी ये वही ठेस है!


धर्म की हो लड़ाई सही आज फिर,

द्रोपदी का कहीं फिर खुला केश है!


जीत  लो  ये  लड़ाई  सही  दाँव से,

दौड़ते  लोग   हैं  भीड़  की  रेस  है!


जीत ले युद्ध सकुनी  नहीं चाल से,

सावधानी  रहे  छल-कपट  पेश है!


लोग  लड़ते  रहें  लोग  मरते  रहें,

लोग  मरते  नहीं  कौन सा  देश है!


ऐ"अदी"जान लो और पहचान लो,

ये बदलता हुआ  काल का वेश  है!

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अदीक्षा देवांगन"अदी"

बलरामपुर (छत्तीसगढ़)

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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल

सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रकाशन तिथि-३०.०६.२०२१

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