रूह से भावना है जुदा- ग़ज़ल- कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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*ग़ज़ल*
*अदीक्षा देवांगन"अदी"*
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*२१२,२१२,२१२*
रूह से भावना है ज़ुदा,
नाव में भी नहीं नाख़ुदा!
पार होता नहीं नाव फिर,
बीच मझधार में दिल डुबा!
खेल में जीत हो हार हो,
खेलती ज़िंदगी इक जुआ!
हम वफ़ाई किए आप से,
बे-वफ़ा आप की है अदा!
ज़िंदग़ी है मेरी आप की,
जान के संग दिल है फ़िदा!
रास्ता जब मिला ही नहीं,
चल रहे मरहबा-मरहबा!
दिल दिए दिल लिए चल दिए,
आज दिल ग़मज़दा-ग़मज़दा!
ऐ "अदी" मत चराग़ें जला,
जोर से चल रही है हवा!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- ०१.०७.२०२१

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