पहले बनो इंसान फिर---- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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ग़ज़ल
अदीक्षा देवांगन (अदी)
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२२१२ २२१२ २२१२ २२१२
पहले बनों इंसान फिर,इबादत ख़ुदा या राम की!
जीवन मिला है प्रेम कर,बातें सुनों ये काम की!!
ये रास लीला देख लो मौसम सुहाना प्रीत का,
आशिक बनाया प्रेम ने,राधा बनी धनश्याम की!
दौलत नशा, दुनिया नशा, देखो नशा है ज़िंदगी,
होता नशा जो इश्क में तो क्या ज़रूरत ज़ाम की!!
होता नहीं वो आदमी, जो इश्क करता ही नहीं,
इंसान करलो तुम ज़रा ये प्यार सुबहो-शाम की!
है वक़्त होता ही नहीं, कब प्रेम हो कह दो ज़रा,
दौलत कमाते ही रहे चिंता कहाँ अंज़ाम की!
माता-पिता से प्रेम हो सेवा करो हरदम "अदी"
यह कान में गूँजी सही आवाज़ चारों धाम की!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- ३०.०६.२०२१
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