अपनी ख़ता को इक़रार कर लो -ग़ज़ल- - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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🍁मौज़ू- इक़रार🍁
अदीक्षा देवांगन"अदी"
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२२१२ २२२१ २२
अपनी ख़ता को इक़रार कर लो,
फिर से मुहोब्बत इक बार कर लो!
बनता नहीं कोई काम हो तब,
फिर कोशिशे बारम्बार कर लो!
अब तो सुबह हो या शाम कोई,
हर वक़्त हमसे ही प्यार कर लो!
इत्तेला करो हमको बात क्या है,
या बात से ही इनकार कर लो!
दिल से दुआ है हरदम खुशी हो,
दरपन बिना तुम सिंगार कर लो!
हरदम "अदी" ये कहती नहीं है,
जी प्यार का अब इज़हार कर लो!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- ०४.०७.२०२१

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