ईद में फिर चाँद का दीदार हो जाए- ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
अदीक्षा देवांगन"अदी"
२१२२,२१२२,२१२,२२
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ईद में फिर चाँद का दीदार हो जाए,
प्यार को अब प्यार से ही प्यार हो जाए!
इश्क़ होता है नहीं कोई यहाँ ऐसे,
दिल मिला के देख लो संसार हो जाए!
प्यार का सौदा नहीं होता तिज़ारत में,
प्यार से फिर प्यार का इक़रार हो जाए!
हार मानें गे नहीं हम जान भी देंगे,
जीत जाएँगे जहाँ तकरार हो जाए!
आशियाना प्यार का दिल से बनाएँ गे,
फिर ज़माना प्यार से दिलदार हो जाए!
यार हम दीवानग़ी में जो बढ़े हद से,
चाँद जैसे चाँदनी का यार हो जाए!
दरिया-ए-इश्क़ में कश्ती डुबी तो क्या,
ऐ"अदी" कश्ती यार सागर पार हो जाए!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर (छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि- ०४.०७.२०२१
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