अब तो इश्क़ में इक़रार हो जाए - ग़ज़ल - कु अदीक्षा देवांगन "अदी"
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मौज़ू- इक़रार
अदीक्षा देवांगन"अदी"
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२२२१ २२२१ २२२
अब तो इश्क़ में इक़रार हो जाए
हम से प्यार का इज़हार हो जाए!
कम हों फासले ये दूरियाँ कम हो,
उनसे भी मिलन इक बार हो जाए!
इस इक़रार से इनकार मत करना,
वरना गाँव में दरबार हो जाए!
नाज़ुक हो कली तो यार मत तोड़ो
आख़िर फूल भी अंगार हो जाए!
बातें मान लो सरकार अपनी है,
या गिरती हुई सरकार हो जाए!
लड़ना है जमाने से हमें तो फिर,
आपस में नहीं तकरार हो जाए!
क्या होगा"अदी"जब प्यार होता है,
तब हर आदमी दिलदार हो जाए!
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अदीक्षा देवांगन"अदी"
बलरामपुर(छत्तीसगढ़)
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स्वरचित मौलिक ग़ज़ल
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशन तिथि -०४.०७.२०२१
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